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सामने आते ही नहीं – एक साहित्यिक संस्मरण (Paper Back)




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Book Details

Author Ramchandra Guha
Co-author Hridayesh Joshi
Publication Setu Prakashan PVT. LTD.
Language Hindi
Category Non-Fiction
Pages 248
Dimension 20 x 13 x 1.5 cm
Weight 200 gm
ISBN 978-93-6201-198-5
About Book

सामने आते ही नहीं – एक साहित्यिक संस्मरण

— रामचन्द्र गुहा
— अनुवाद हृदयेश जोशी


रुकुन और मैं 1970 के दशक में सेंट स्टीफेंस कॉलेज में समकालीन छात्र थे। वह तब तक गम्भीर पुस्तकों में डूब चुके थे जबकि मैं एक खिलाड़ी था जिसका बुद्धिजीवियों से कोई लेना-देना न था। उन दिनों उनके दिल में मेरे प्रति घृणा थी (वह स्वाभाविक रूप से भावी उपन्यासकार अमिताव घोष और दूसरे साहित्यिक सोच वाले लोगों का साथ पसन्द करते थे) लेकिन बाद में, जब मैंने अपनी शैक्षिक यात्रा में बदलाव किया और एक पी-एच.डी. भी की, हम परिचित हो गये और फिर मित्र बने। उन्होंने मेरी सभी शुरुआती किताबें प्रकाशित कर्की और धीरे-धीरे मेरे एक इतिहासकार, एक जीवनी लेखक, एक क्रिकेट लेखक और एक निबन्धकार बनने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। यह रुकुन ही थे जिन्होंने मुझे ओ.यू.पी. को छोड़कर ट्रेड प्रेस में जाने को उत्साहित किया, जहाँ उन्हें लगता था कि जो पुस्तकें मैं लिखने लगा था, उनके साथ न्याय किया जाएगा। इस बीच उन्होंने खुद भी ओ.यू.पी. छोड़ दी और एक छोटे से हिमालयी क़स्बे से पर्मानेण्ट ब्लैक नाम की प्रेस चलाने लगे, जहाँ वे अपनी पत्नी (उपन्यासकार अनुराधा रॉय) और सड़क से उठाये गये कई कुत्तों की मण्डली के साथ रहते हैं।


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