Book Details
Author | Namita Gokhale |
Co-author | Pushpesh Pant & Prabhat Ranjan |
Publication | Vani Prakashan |
Language | Hindi |
Category | Fiction |
Pages | 240 |
Dimension | 21.5 x 14 x 2 cm |
Weight | 400 gm |
ISBN | 978-93-5518-872-4 |
About Book | दुनिया के सबसे बड़े लिटरेरी फ़ेस्टिवल की संस्थापकों और निदेशकों में एक नमिता गोखले ने एक ऐसा उपन्यास लिखा है जो बहुत प्रभावशाली है और जो दुनिया के सबसे एकाकी समूह यानी लेखकों की प्रेरणाओं और निराशाओं को लेकर है। इसमें मुलाक़ात होती है ऐसे रंगारंग किरदारों से जिनकी ज़िन्दगी की कहानियाँ जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल के समुद्र में घुलती-मिलती हैं, उनके बीच टकराती हुई चलती हैं। क्वियर साहित्य की एक बहुत बड़ी लेखिका है जिसको विद्वेष से भरी गुमनाम चिट्ठी मिलती हैं, एक चोर है जिसको कविता लिखने का जुनून है, एक प्रतिभाशाली बाल लेखक है जिसने तय कर रखा है कि एक दिन शिखर पर पहुँचना है, एक अमेरिकी लेखक है जो अपने जवानी के दिनों के विलुप्त भारत की तलाश में है। सत्तर पार की एक एकाकी लेखिका है जो जहाँ जाती है कैनवस बैग में अपने अप्रकाशित उपन्यास की प्रति लेकर जाती है-जयपुरनामा के पन्नों पर सबकी जीवन्त कहानी है। फ़ेस्टिवल की तरह ही जयपुर में विविध प्रकार की कहानियाँ हैं जिनको अलग-अलग सिरों से कहा गया है। यह दिलचस्प, तेज़ गति वाला, बड़े फ़लक का उपन्यास है जो साहित्यिक जगत का अचूक और दिलचस्प ख़ाका प्रस्तुत करता है, जिसमें नमिता गोखले की अचूक दृष्टि तथा पठनीय शैली अपने पूरे शबाब पर है। नमिता गोखले लेखक, प्रकाशक, फ़ेस्टिवल डायरेक्टर तथा अठारह कथा-अकथा की किताबों की लेखिका हैं। उनका पहला उपन्यास पारो : ड्रीम्स ऑफ़ पैशन बहुत प्रसिद्ध उपन्यास है जिसका प्रकाशन 1984 में हुआ था और जिसकी प्रसिद्धि आज भी बरकरार है। और उपन्यास के दूसरे खण्ड प्रिया के साथ इसका दोहरा संस्करण प्रकाशित किया गया था। नमिता गोखले ने अलग-अलग विधाओं में मिथकों के ऊपर ख़ूब काम किया है, जिनमें पफ़िन महाभारत में भारतीय मिथक महाकाव्य का पुनःप्रस्तुतीकरण भी शामिल है। |